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नारी का सच

allahabadlive
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मै घर की चारदीवारी मे कैद सी एक औरत
या सजा हुआ कोई फानूस
मै घर की रौनक हू या शायद घर वालो का गुरुर
मै घर को बनाने वाली एक कड़ी हू ,या दीवार पर लगी एक पेंटिंग
मै क्या हू मुझसे न पूछ ए खुदा
आज तक खुद को न समझ पाई
मै नहीं हू तो कुछ नहीं है मै हू तो घर मे रौनक है
पर मेरे चेहरे पे क्यों रौनक नहीं
मे चुप क्यों हू खामोश क्यों हू
जब तुम जान जाओ की मे क्या हू मुझे भी बता देना
जब लगे इस मूरत की जरूरत नहीं
तो बाहर फिकवा देना !!

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